राजस्थान में शिक्षा सहायक के 33690 रिक्त पदों पर भर्ती के आदेश

जयपुर। हाईकोर्ट ने शिक्षा सहायक के 33690 पदों पर भर्ती का रास्ता साफ कर दिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार को जल्दी भर्ती प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया है। साथ ही, उम्र में छूट व अनुभव के मामले में सरकार के निर्णय को सही ठहराया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सुनील अंबवानी व न्यायाधीश वी एस सिराधना की खंडपीठ ने बुधवार को अतर सिंह गुर्जर व अन्य की करीब 1800 याचिकाओं को खारिज करते हुए यह आदेश दिया।

कोर्ट ने इन याचिकाओं पर 28 अक्टूबर को सुनवाई पूरी कर ली थी। याचिकाओं में कहा था कि प्लेसमेंट एजेंसियों के जरिए कार्यरत कर्मचारियों, कंप्यूटर ऑपरेटर, प्रेरक, केयर गिवर, कस्तूरबा गांधी छात्रावास के कर्मचारियों व निजी संस्थान में काम करने वालों को अनुभव और बोनस अंक का लाभ नहीं दिया जा रहा है।

विद्यार्थी मित्र व लोक जुंबिश के तहत काम करने वालों को उम्र में छूट व बोनस अंक दिए जा रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि सरकार के अधीन सीधे काम करने वालों का नियंत्रण व सुपरवीजन सरकार के पास है, जबकि याचिकाकर्ता सरकार के न अधीन है और न उनका सुपरवीजन सरकार के पास है।

2013 में शुरू हुई भर्ती
प्रारम्भिक शिक्षा निदेशालय ने 30 मई 2013 को शिक्षा सहायक के 33690 पदों पर भर्ती के लिए प्रक्रिया शुरू की, जून 2013 में याचिकाएं दायर हुई थीं। इन कर्मचारियों को स्कूल में दाखिले के लिए लोगों को प्रेरित करना, स्कूल बीच में ही छोड़ चुके बच्चों की ट्रेकिंग, मिड डे मील वितरण, अनुशासन, सफाई व सहश्ौक्षणिक गतिविधि संचालन आदि के लिए भर्ती किया जाना था।

आरएएस-12 मुख्य परीक्षा के नतीजे रद्द
जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने आरएएस भर्ती-2012 के मामले में मुख्य परीक्षा का परिणाम रद्द कर दिया है। कोर्ट ने राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) को नई गाइडलाइन के आधार पर नए सिरे से परिणाम जारी करने के निर्देश दिए हैं। भंवरलाल व अन्य की ओर से दायर याचिकाओं का निस्तारण करते हुए न्यायाधीश डॉ. विनीत कोठारी ने यह आदेश दिए।

यूं चला मामला
एकलपीठ ने 3 मार्च को मुख्य परीक्षा का परिणाम रद्द किया था। आयोग ने इसे खंडपीठ में चुनौती दी। खंडपीठ ने एकलपीठ को पुन: सुनवाई के आदेश दिए। एकलपीठ ने बुधवार को पुराना मत बरकरार रखते हुए 27 जनवरी के परिणाम रद्द करने का आदेश दिया।

आगे क्या
राजस्थान लोक सेवा आयोग एकलपीठ के इस आदेश को खंडपीठ में चुनौती दे सकता है।

हाईकोर्ट की गाइडलाइन
- 7 या 9 सदस्यीय विशेषज्ञों की कमेटी निर्धारण करे कि स्केलिंग में दस प्रतिशत से अधिक अंतर नहीं आए। दस प्रतिशत से अधिक स्केलिंग हटाई जाए।
- आरपीएससी रॉ-मार्क्स के आधार पर परिणाम जारी करने के लिए स्वतंत्र है।
- 31 जुलाई के आरपीएससी के संशोधन के आधार पर नए पैटर्न पर परीक्षा होने के संबंध में अभ्यर्थियों का तर्क याचिका में नहीं होने के कारण अस्वीकार। मंत्रीमंडल के फैसले को भी याचिका में चुनौती नहीं देने के कारण विचार नहीं।
- स्केलिंग अवैध नहीं, लेकिन इससे पूर्व में जो मानक निर्धारित किए गए, वे नहीं अपनाए गए।

तृतीय श्रेणी शिक्षकों को हटाने पर रोक
राजस्थान हाईकोर्ट ने वर्ष 2000 में नियुक्त तृतीय श्रेणी शिक्षकों को हटाने पर अंतरिम रोक लगा दी है। इन शिक्षकों को सरकार ने अक्टूबर में हटाने के आदेश दिए थे। सरकारी आदेश के खिलाफ दायर याचिका में कहा गया कि शिक्षकों को बिना सुनवाई का मौका दिए हटाने का आदेश प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन है। न्यायाधीश निर्मलजीत कौर ने शिक्षा सचिव तथा प्रारंभिक जिला शिक्षा अधिकारी नागौर को जवाब के लिए तलब किया है। अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी।

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