छग की हठ के कारण अटका हुआ है मप्र के 2 लाख 80 हजार पेंशनर्स का डीए

भोपाल। छत्तीसगढ़ के अड़ियल रवैए के चलते मध्यप्रदेश सरकार चाहकर भी पेंशनर्स के महंगाई भत्ते के आदेश जारी नहीं कर पा रही है. दरअसल छग सरकार का कहना है कि वह पेंशनर्स को एक अक्टूबर से महंगाई भत्ता देगी, जबकि मप्र सरकार ने एक जुलाई 2014 से महंगाई भत्ता देने की घोषणा की थी.

एक नवंबर 2000 से पहले सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों के चलते राज्य सरकार छग सरकार की सहमति के बगैर आदेश जारी नहीं कर सकती. मामले में पेंच आने के बाद वित्त विभाग ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पूरा प्रकरण तैयार कर भेज दिया है. फिलहाल दोनों राज्यों में तालमेल के अभाव के चलते लगभग दो लाख अस्सी हजार पेंशनर्स का डीए अटका हुआ है।

जब तक छत्तीसगढ़ का मामला सुलझ नहीं जाता तब तक मप्र के पेंशनर्स को महंगाई भत्ते के लिए इंतजार करना पड़ सकता है. छग की जिद के चलते महंगाई भत्ता मंजूर होने के बावजूद नहीं मिल पा रहा है. संभावना है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जल्द ही छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह से बात कर मामले को सुलझाने का प्रयास करेंगे.

यदि छत्तीसगढ़ सरकार एक जुलाई से महंगाई भत्ता देने पर राजी नहीं होती है तो मप्र सरकार के सामने दो रास्ते बचते हैं. पहला यह कि वह अपने खजाने से संयुक्त मप्र के पेंशनर्स को जुलाई, अगस्त और सिंतबर का महंगाई भत्ता दे. इससे सरकारी खजाने पर 60 करोड़ का अतिरिक्त भार आएगा. दूसरा रास्ता है कि रि-आर्गनाईजेशन एक्ट 1956 के तहत मप्र और छग सरकार में हुए अनुबंध की शर्ते न मानने के मामले को केन्द्र के सामने ले जाया जाए. हालांकि इस पर अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री को लेना है.

उल्लेखनीय है कि 12 अक्टूबर को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने एक जुलाई से केन्द्र के समान महंगाई भत्ता देने की घोषणा की थी. प्रदेश के शासकीय सेवकों को एक नवंबर को वेतन में 7 प्रतिशत महंगाई भत्ता बढ़कर मिल भी गया. वहीं एक जुलाई से सितंबर तक का एरियर्स उनके जीपीएफ खाते में जमा किया गया है. पेंशनर्स को अपने आदेश का इंतजार हैं.

किसी राज्य का विभाजन कर उन्हें फिर से गठित करने के लिए रि-आर्गनाईजेशन 1956 में अधिनियम बनाया गया था. इसके तहत ही 1 नवंबर 2000 को मध्यप्रदेश का विभाजन कर छत्तीसगढ़ राज्य का गठन किया गया था. इसमें दोनों राज्यों के बीच शासकीय सेवक, संपत्ति और लेनदारी और देनदारियों का बंटवारा इस एक्ट के तहत किया गया था. दोनों राज्य इस एक्ट में किए गए अनुबंध का पालन करने के लिए बाध्य हैं. इस एक्ट के तहत उत्तरप्रदेश का विभाजन कर उत्तरांचल, बिहार का विभाजन कर झारखंड और हाल ही में आंध्रप्रदेश का विभाजन कर तेलांगाना राज्य बनाया गया है.

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