भोपाल। मंडीदीप से हबीबगंज स्टेशन की तरफ धड़धड़ाती जा रही झेलम एक्सप्रेस से जब वह गिरा तो उसकी आंखों के आगे अंधेरा छा गया, लेकिन उसकी जीवटता के आगे मौत भी जैसे दांतो तले अंगुली दबाकर रह गई।
कुछ चेतना आने पर खून से लथपथ हो चुका वह शख्स उठा और अनजान जगह पर मदद के लिए करीब आधा किलोमीटर तक पैदल चला। इस बीच खेत पर फरिश्ता बन खड़े एक किसान ने उसे तुरंत अस्पताल पहुंचाने की व्यवस्था की। अब वह अस्पताल में दाखिल और जान के खतरे से दूर है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक मिसरोद निवासी अरुण पाटीदार अपने खेत पर थे। इस दौरान खून से लथपथ एक व्यक्ति लड़खड़ाता हुआ उनके पास आया और अर्धबेहोशी की हालत में इतना बता पाया कि वह ट्रेन से गिर गया है। अरुण ने सुबह 9:32 बजे 108 एम्बुलेंस को मदद के लिए फोन किया। सूचना मिलते ही एम्बुलेंस मिसरोद स्थित रेलवे पुलिया के पास गुराड़िया गांव के लिए जाने वाले रास्ते पर जा पहुंची। एम्बुलेंस में मौजूद पैरामेडिकल स्टाफ के डॉक्टर राजेश दया और पायलट मुकेश पांडे ने उस व्यक्ति को वैन में लेकर प्राथमिक उपचार शुरू कर दिया।
ट्रेक्टर-टॅली वाले ने कर दी अनदेखी
108 सेवा के प्रोग्राम मैनेजर प्रदीप साने ने बताया कि प्राथमिक उपचार के बाद कुछ होश में आने पर उस व्यक्ति ने अपना नाम बिजनौर (उप्र) निवासी इमामुद्दीन बताया। उसने बताया कि ट्रेन से गिरने के बाद उसने मदद के लिए पैदल चलना शुरू किया था। कुछ दूर ही एक ट्रेक्टर ट्रॉली के चालक को रुकने के लिए हाथ भी दिया था, लेकिन उसने मदद नहीं की। लेकिन करीब आधा किलोमीटर तक चलने के बाद उसे खेत पर मिले अरुण उसके लिए फरिश्ता साबित हुए। एम्बुलेंस से उसे जेपी अस्पताल ले जाया गया। जहां उसकी गंभीर हालत देखते हुए तुरंत हमीदिया अस्पताल रैफर कर दिया गया। हमीदिया के सर्जिकल वार्ड में भर्ती इमामुद्दीन की हालत अब बेहतर बताई जा रही है।