कुदरत की मार तो किसान झेल गए, लेकिन शिवराज सरकार की मार कैसे झेलें

भोपाल। समर्थन मूल्य पर गेहूं के खरीदी केंद्रों पर अन्नदाता किसानों की जो फजीहत इन दिनों हो रही है, उस पर गहरी चिंता प्रगट करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरूण यादव ने कहा है कि दो महीने पहले की बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के रूप में कुदरत की मार को तो प्रदेश के प्रभावित किसान जैसे-तैसे झेल गए,
किंतु किसानों के नाम पर मगरमच्छ के आंसू बहाने वाली शिवराज सरकार द्वारा खरीदी केंद्रों से किसानों द्वारा लाये गये गेहूं की वापसी से उन पर जो मार पड़ रही है, उसको वे झेल नहीं पा रहे हैं, क्योंकि इन दिनों कर्ज पटाने और शादी-ब्याह का खर्च उठाने की बड़ी समस्या उनके सामने खड़ी है।

आपने कहा है कि बेमौसम बारिश और ओला प्रभावित किसानों को कुदरती मार के बाद असंवेदनशील भाजपा सरकार की मार भी झेलना पड़ रही है।

श्री यादव ने कहा है कि जिलों से जो रिपोर्ट मिल रही हैं, उनके अनुसार गेहूं खरीद केंद्रों से किसानों की गेहूं लदी ट्रालियां इस आधार पर वापस की जा रही हैं कि उनके द्वारा लाया गया गेहूं केंद्र पर उपलब्ध सैम्पल से मेल नहीं खा रहा है अर्थात वह अच्छी क्वालिटी का नहीं है, जबकि किसानों से हर प्रकार का गेहूं खरीदा जाना चाहिए। आपने कहा है कि सरकार के संरक्षण में खरीदी केंद्रों पर चल रही यह मनमानी किसानों को बहुत महंगी पड़ रही है। 

वे गंभीर संकट में हैं कि गेहूं की फसल की संभावित आमदनी के भरोसे उन्होंने कर्ज की वापसी और शादी-ब्याह आदि सामाजिक कार्यों के खर्च की पूर्ति की जो योजना उन्होंने बना रखी थी, अच्छे दाम पर गेहूं न बिकने से अब उसका क्या होगा। किसानों की इस पीड़ा को नीचे से ऊपर तक कोई समझने को तैयार नहीं है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा है कि जो सूचनाएं मिल रही हैं, उनसे यह बात उभरकर सामने आ रही है कि भाजपा समर्थक स्थानीय अनाज व्यापारियों और बिचैलियों को नाजायज रूप से भारी फायदा पहुंचाने के लिए खरीदी केंद्रों से किसानों का गेहूं वापस किया जा रहा है। खेद की बात है कि वापस किया जा रहा गेहूं भाजपाई दलाल और व्यापारी 700-800 रूपये प्रति क्विंटल के औने-पौने दाम पर किसानों से झटक रहे हैं। 

किसानों को चंूकि इन दिनों पैसों की सख्त जरूरत है, इसलिए वे इस तरह आधे दाम पर गेहूं बेचने के लिए विवश हैं। आपने कहा है कि सरकार के लिए यह शर्म की बात है कि गेहूं बेचने के लिए किसानों को घर-बार से दूर हफ्तों खरीद केंद्रों पर गेहूं तुलाई के लिए भी इंतजार करना पड़ रहा है। भोपाल से 25 किलोमीटर दूर ग्राम बगरोदा के एक किसान का गेहूं तो 21 दिन से मंडी में पड़ा हुआ है, जबकि उसको अपनी पोती की शादी और खाद-बीज के कर्ज को चुकाने के लिए तुरंत पैसों की जरूरत हैं। प्रदेश में ऐसे ही हजारों किसान हैं, जो भाजपा सरकार की संवेदनहीनता के शिकार हो रहे हैं।

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