पाताल तक जा रहा है इस हनुमान प्रतिमा का पैर

सागर जिले के रहली से दो किमी दूर सुनार नदी के तट के उपर झााडियों के बीच विराजे हनुमान जी की प्रतिमा अति प्राचीन और विस्मयकारी है यह प्रतिमा स्वमेव प्रकट हुई है। आकाश की ओर निहारती इस प्रतिमा के बारे में किवदंती है कि बहुत साल पहले इस प्रतिमा को यहां से हटाकर सुनार नदी के तट पर स्थापित किया जाने का प्रयास हुआ था पर कहते है कि खुदाई प्रारंभ हुई परंतु पानी निकलने तक हनुमान प्रतिमा के पैर का अंत नही हुआ तो अन्यत्र उनको विराजमान करने की चेष्टा को समाप्त कर दिया गया।

राम भक्त हनुमान भारत के तन मन और प्राण में व्याप्त है वे सदा भक्ति शक्ति और सर्मपण की प्रेरणा देते है। महावीर हनुमान के अनेक नाम है और एैसी उनके अनेक रुप है।विद्वानों की माने तो पुराणों और रामायण में अनेक स्थानों पर हनुमान जी के अद्भुत चरित्रों और रुपों का वर्णन आया है पर किसी भी शास्त्र में हनुमान जी के इस अद्भुत रुप का वर्णन पढने नही मिला है।रहली की सुनार और देहार नदी के संगम स्थल के बीच बनी पहाडी पर विराजमान श्री हनुमान जी की प्रतिमा अति विस्मयकारी और प्राचीन है संभव है हनुमान जी का एैसा रुप अन्यत्र कही देखने ना मिले।

यहां विराजे पातालिया हनुमान जी का मंदिर पहले घनी झाडियों के बीच ढका हुआ था इसलिये इन्हे झाडी वाले हनुमान जी के नाम से भी जाना जाता है। आकाश की और निहारती हनुमान जी की यह अद्भुत प्रतिमा के दर्शन करने दूर दूर से लोग यहां आते है हनुमान जी की यह प्रतिमा जनेउ धारण किये हुये तथा बांये कांधे से दुपट्टा बांये हाथ में लिपटा हुआ दिखाई देता है। पुजारी मधुसुदन शर्मा का कहना है कि हनुमान जी की यह प्रतिमा स्वमेव प्रकट हुई है इस प्रतिमा को स्थापित नही किया गया है। हनमान जी का दायां पैर तो जमीन पर दिखाई देता है पर बांया पैर धरती की कितनी गहराई तक है किसी को पता नही है।

यहां के बारे में लोगो का कहना है कि अंग्रेजों ने भी यहां खुदाई करवाई थी पर हनुमान जी का बांया पैर की थाह नही पा सके और अंत में थक हार कर खुदाई बंद करना पडी थी। यहां पर एक किवदंती और प्रचलित है कि यहां पर एक महात्मा रहते थे वे माॅ नर्मदा जी का स्नान करने प्रतिदिन जाते थे एक दिन किसी कारण बस नर्मदा जी स्नान करने नही पहुचे तो माॅ नर्मदा जी स्वयं यहां आ गयी थी नदी किनारे बनी झिारिया इस बात के प्रतीक के रुप में स्थापित है जहां कभी पानी समाप्त नही होता।

इस मंदिर का निर्माण कब हुआ था इस बात की किसी को जानकारी इतिहासकारों को भी नही है। वर्तमान में यह राम मंदिर ट्रस्ट के आधीन है।पहले यहां एक छोटा सा मंदिर था अब यहां पर एक धर्मशाला और मंदिर का निर्माण किया जा रहा है इस निर्माणाधीन मंदिर में व्यंकटेश भगवान बालाजी की प्रतिमा स्थापित होनी है भक्तों का मानना है कि पातालिया हनुमान जी के दर्शन मात्र से सभी मनोकामनायें पूरी होती है। बिशेष रुप से शनिवार और मंगलवार को यहां भक्तों का तांता लगा रहता है

रहली से योगेश सोनी की रिर्पोट.

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