राजेश शुक्ला/अनूपपुर। यहां गैंगरेप का एक सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। जिसमें एक पुलिस वाले ने अपने साथी के साथ मिलकर एक नवविवाहिता गर्भवती का रेलवे स्टेशन से अपहरण कर गैंगरेप किया। हद तो तब हो गई जब टीआई इस मामले में पुलिसवाले को बचाने के लिए महिला को प्रताड़ित करने लगा।
मामला जिले के कोयलांचल थाना कोतमा का है, जहां के एक पुलिसकर्मी ने अपने मित्रों के साथ एक 20 वर्षीय गर्भवती महिला के साथ दुराचार किया। पीडिता के अनुसार वह अपने भाई के साथ बिजुरी से आ रही महिला जब कोतमा रेल्वे स्टेशन में उतरी तब दो लोगों ने उसके भाई को किनारे कर महिला को अगवा कर लिया और बदरा दफाई के जंगल में ले गए जहां उसके साथ दुराचार किया।
इसके बाद महिला को पुन: रेल्वे स्टेशन कोतमा में छोड दिया। इस पूरी घटना की आपबीती बहन ने भाई को बताई और दोनों मिलकर अपनी फरियाद कोतमा थाना पहुंचे तो पुलिस ने भाई को तुरंत सलाखों के पीछे ढकेल दिया और उसे ही अपराधी बनाने की साजिश करने लगे। पुलिस चाहती थी कि महिला के भाई को ही इसका अपराधी बना दिया जाये। इसलिये पुलिस के आला अधिकारी उस महिला से अपने बयान बदलने का जोर डालते रहे, किंतु महिला ने इससे इंकार करती रही।
पुलिस ने पीडित महिला की फरियाद 24 घंटे तक अपने रजिस्टर पर नहीं लिखी। महिला 14 अप्रैल की रात 11 बजे से कोतमा थाने मे बैठी रही और कोतमा पुलिस ने उसकी फरियाद नहीं सुनी 15 अप्रैल की रात जब इस बात की खबर मीडिया को लगी तो मीडिया ने इस संबंध में कोतमा थाना प्रभारी से इसकी जानकारी मांगी तो थाना प्रभारी एके भारद्वाज ने साफ मना कर दिया, जबकि पीडित महिला और उसके भाई को भी थाने में कैद रखा गया। नगर निरीक्षक कोतमा द्वारा बार-बार यह दवाब दिया जा रहा था कि पीडि़ता अपने बयान में पुलिसकर्मी का नाम ना ले। वह सिर्फ उसके सहयोगी फिरोज व एक अन्य के ऊपर रिपोर्ट दर्ज कराये। यही बयान पुलिस चाहती थी।
24 धंटे तक पीडिता को थाने मे सिर्फ इसलिए बैठाया गया कि वह अपना बयान बदल कर अपने भाई का नाम लेले और फिरोज जो कि पुलिस आरक्षक के साथ था उसका नाम रिपोर्ट दर्ज कराये किंतु आरक्षक के नाम पर नहीं। आखिर पुलिस अपने आस्तीन को एैसे दुराचारी का क्यों बचाना चाह रही है जो उस पीडि़ता का मुख्य दोषी है। उसी आरक्षक ने इस महिला को कोतमा स्टेशन से उठाने का मास्टरमाइंड था।
पुलिस ने पीडिता को डरा-धमका कर बयान को बदलने को कह रही थी कि उस पुलिस आरक्षक का नाम रिपोर्ट पर न लिखाये। उसके बीबी बच्चे हैं वह बर्बाद हो जायेगा। बर्दी की खौफ से पीडि़ता की आवाज बंद करने का कुचक्र कोतमा पुलिस ने 24 घंटे तक चला किंतु वह सफल न हो सके। मीडिया को भनक लगते ही जिले से इसकी जांच के लिये अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुश्री आभा टोप्पों को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई।
बुधवार को सुश्री टोप्पों जांच की तो उन्होंने उस पीडि़त महिला की रिपोर्ट दर्ज करने के आदेश दिये। महिला ने बताया कि मुझे टीआई द्वारा बार-बार कहा जा रहा था कि पुलिस वाले की पहचान मत करो उसके बीबी बच्चें है वह फस जाएगा। जबकि वह आरक्षक इस पूरे कृत्य में शामिल था। पुलिस ने जब तक उस महिला को थाने में बैठाये रखा तब तक वह आरक्षक थाने में नजर नहीं आया। इस डर से कि कहीं वह महिला पहचान न ले। पुलिस के अधिकारियों ने अपने आरक्षक को बचाने का भरपूर प्रयास कर रही है।
वहीं पीडिता का भाई शोभराम ने बताया कि मैं पुलिस वालों से हाथ जोडकर बार-बार कह रहा था कि मुझे कैद से आजाद करो। मैंने पुलिस वाले के साथ दोनों आरोपियों को अपनी बहन को लेजाते देखा है। इसे अपने डण्डे के जोर पर चुप करा रहे थे।
मीडिया के सामने पीडिता ने कहा कि मेरे साथ एक पुलिस वाला एवं फिरोज नाम के व्यक्ति ने गलत किया है। पुलिस मुझ पर दवाब बना रही है कि बयान बदलो। पीडि़ता गर्भवती भी है इससे मामला और भी संवेदनशील हो जाता है। इस पूरे मामले की जांच के लिये पुलिस अधीक्षक ने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुश्री आभा टोप्पों को सभी बिंदुओं पर जांच के लिये कहा है और मौके पर जाकर इसकी जांच करने की कार्यवाही सुश्री टोप्पों ने प्रारंभ कर दी है।
जिम्मेदारों का कथन
पीडि़ता की शिकायत पर रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है। इसमें पीडि़ता ने फिरोज के साथ एक पुलिसकर्मी का होना बताया है, किंतु नाम नहीं बताया इससे इस बात की जांच की जा रही है कि इस घटना में कोई पुलिसकर्मी शामिल था या नहीं मामला पुलिस से जुड़ा है इसलिये जांच के बाद ही कुछ पता चलेगा।
निमिष अग्रवाल
पुलिस अधीक्षक अनूपपुर
सारे बिंदुओं पर जांच की जा रही है। पीडिता की रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है। जांच के बाद ही कुछ हो पायेगा।
सुश्री आभा टोप्पो
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अनूपपुर