सावधान! सूखा पड़ेगा इस साल, नहीं बरसेगा पानी, मचेगी त्राहि त्राहि

भोपाल। प्रशांत महासागर की सतह पर असामान्य तरीके से बढ़ते तापमान (अल-नीनो प्रभाव) के चलते इस वर्ष मानसून के दौरान भारत में सामान्य से कम बारिश होने के आसार बन रहे हैं।

जून से सितंबर के बीच कुल 896 मिलीमीटर बारिश होने की आशंका जताई जा रही है। अगस्त को छोड़ पूरे मानसून के दौरान इस बार सामान्य से सिर्फ 34 फीसद बारिश होने के आसार हैं। यह भविष्यवाणी इस हफ्ते मौसम संबंधी सूचना जारी करने वाली देश की पहली निजी कंपनी स्काईमेट ने की है।

क्या है 'अल-नीनो' व 'ला-नीना'
अल-नीनो एक गर्म जलधारा है, जो प्रशांत महासागर में पेरू तट के सहारे हर 2 से 7 साल बाद बहना प्रारंभ कर देती है। इस दौरान यह समुद्र में गर्मी पैदा करती है। इससे पेरुवियन सागर का तापमान 3.5 डिग्री सेंटीग्रेड तक बढ़ जाता है। यह दुनिया में तबाही का भीषण दृश्य उपस्थित करती रही है। एल नीनो स्पैनिश भाषा का शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ है- छोटा बालक। इसे यह नाम पेरू के मछुआरों द्वारा बाल ईसा के नाम पर किया गया है क्योंकि इसका प्रभाव सामान्यतः क्रिसमस के आस-पास अनुभव किया जाता है। इसकी समाप्ति के बाद प्रशांत महासागर के उसी स्थल से ठंडे पानी की धारा प्रवाहित होने लगती है, जिसे ला-नीना कहा जाता है। ला-नीना भी प्रकृति एवं मौसम में बदलाव लाती है।

ऐसा हो सकता है इस बार मानसून...
जून- 174 मिलीमीटर (68 फीसदी)
जुलाई-285 मिलीमीटर (59 फीसदी)
अगस्त- 253 मिलीमीटर(70 फीसदी)
सितंबर-184 मिलीमीटर (59 फीसदी)
स्काईमेट द्वारा जारी मानसून पूर्वानुमान
अत्यधिक बारिश होने की संभावना-0 फीसदी
सामान्य से अधिक-1 फीसदी
सामान्य से नीचे- 40 फीसदी
सूखा के आसार- 25 फीसदी
(पूरे देश का हाल)

यदि अल-नीनो का असर 30 फीसदी से अधिक पड़ा तो सूखा...

पिछले दिनों दिल्ली में कंपनी के प्रबंध निदेशक जतिन सिंह ने बताया कि मानसून अपने समय पर ही भारत में प्रवेश करेगा, लेकिन शुरू में ही कमजोर होगा। अल-नीनो का प्रभाव 30 फीसदी से अधिक पड़ा, तो वर्ष 2009 और 2012 में जिस प्रकार देश के उत्तर पश्चिमी व मध्य के राज्यों में अकाल पड़ा था, इस बार भी वैसे ही आसार बनते दिख रहे हैं। कम बारिश होने से सूखा पडऩे के 25 फीसदी आसार हैं।

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