भोपाल। शाहपुरा तालाब के एफटीएल से 30 मीटर दूर तक निर्माण नहीं होगा। इसे नो कंस्ट्रक्शन जोन बनाकर यहां पौधे रोपे जाएंगे और पाथ-वे का निर्माण होगा। शाहपुरा तालाब समेत राजधानी के दस तालाबों का संरक्षण और संवर्धन के लिए बनाई जा रही डीपीआर के मसौदे में यह प्रावधान किए गए हैं।
डीपीआर बनाने वाली कंपनी ने मसौदे में शाहपुरा तालाब के लिए ड्राफ्ट में 33 करोड़ रुपए की योजना बताई है, लेकिन नगर निगम ने इसमें कुछ कमियां बताते हुए लौटा दिया है। अब कंपनी ने दो महीने की और मोहलत मांगी है। इसी दौरान कंपनी को बाकी नौ तालाबों की डीपीआर भी जमा करनी है।
केंद्र सरकार ने मार्च 2013 में दस तालाबों के संरक्षण और संवर्धन के लिए 216 करोड़ 62 लाख रुपए की योजना मंजूर की थी। इसके लिए निगम ने चार महीने की देरी से अगस्त 2013 में व्यांट सॉल्यूशन कंपनी को नियुक्त किया और एक करोड़ 64 लाख रुपए से डीपीआर बनाने की जिम्मेदारी सौंपी।
कंपनी ने शाहपुरा तालाब के लिए मसौदे में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी), नालों का चैनेलाइजेशन, डायवर्ट आदि करने के उपाय बताए हैं। मसौदे में मनीषा मार्केट और शाहपुरा की तरफ से आने वाले नालों को डायवर्ट कर पीएचई के पंप हाउस में भेजने की बात कही गई है।
जबकि एप्को द्वारा बनाई गई गारलैंड ड्रेन में भी एक एसटीपी का निर्माण प्रस्तावित है। हालांकि केंद्र ने शाहपुरा तालाब के लिए 45 करोड़ रुपए की योजना रखी है, लेकिन कंपनी ने इसे कम करते हुए 33 करोड़ रुपए कर दिया है। निगम इसे और कम कराना चाहता है। इसकी वजह बची हुई राशि का उपयोग बड़े तालाब के सुधार के लिए करना है।
अंतरिम रिपोर्ट में किया था जुर्माने का प्रावधान
कंपनी ने डीपीआर तैयार करने के लिए बनाई अंतरिम रिपोर्ट में शहर के 10 तालाबों के संरक्षण के लिए सीवेज सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने को कहा था। इसके साथ ही बड़े तालाब में कचरा फेंकने पर जुर्माना लगाने की सिफारिश भी की थी। इसके अलावा अतिक्रमण रोकने के लिए तालाब के किनारे फैंसिंग, रिटेनिंग वॉल आदि बनाने और हर महीने तालाब की सफाई समय तय करने को कहा था।