70 हजार कर्मचारियों ने निकाल ली पीएफ जमा से ज्यादा रकम

नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन [EPFO] में चले रहे गड़बड़झाले का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक [कैग] ने खुलासा किया है। सरकारी ऑडिटर की संसद में पेश रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑडिट में यह बात सामने आई है कि 70 हजार भविष्य निधि [PF] खाते से जमा से ज्यादा रकम की निकासी की गई।

साथ ही संगठन की इस बात के लिए भी खिंचाई की वह आमदनी के मुकाबले अपने अंशधारकों को कम ब्याज दे रहा है। ईपीएफओ के करीब पांच करोड़ अंशधारक हैं।

ब्याज में भी हुआ गड़बड़झाला

कैग ने वित्त वर्ष 2006-07 से लेकर 2011-12 के बीच ईपीएफओ की कमाई और उसके द्वारा दिए गए ब्याज की जांच की। इसमें पाया गया कि केवल 2006-07 और 2011-12 में उसे निवेश से कम आमदनी हुई और ब्याज ज्यादा दिया। ईपीएफओ को 2006-07 में 7,779.63 करोड़ रुपये की आय हुई और अंशधारकों को 7,976.24 करोड़ रुपये का ब्याज दिया। इसी तरह 2011-12 में 17,879.95 करोड़ की कमाई हुई और 23,145.81 करोड़ रुपये खाताधारकों दिए गए।

2007-08 में ईपीएफओ ने 8,706.88 करोड़ कमाए और 7,854.60 करोड़ रुपये ही पीएफ खातों में जमा कराए। इसके अगले वित्त वर्ष में 10,667.43 करोड़ की कमाई हुई। मगर खाताधारकों को केवल 9,268.15 करोड़ रुपये ही मिले। ठीक इसी तरह वित्त वर्ष 2009-10 में 11,933.88 करोड़ की कमाई के बावजूद ब्याज के रूप में 9,631.96 करोड़ रुपये ही दिए गए। इसके अगले वित्त वर्ष कमाई और बढ़कर 14,181.90 करोड़ रुपये पर पहुंच गई। मगर खाताधारकों को केवल 8,719.53 करोड़ रुपये ही मिल पाए।

कैग ने ईपीएफओ के कामकाज पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि आमदनी बढ़ने के बावजूद 2006-07 से लेकर चार वित्त वर्षो तक 8.5 फीसद ही ब्याज दिया गया। 2010-11 में इसे बढ़ाकर 9.5 फीसद किया गया। मगर इसके अगले साल ही इसे घटाकर 8.25 फीसद कर दिया गया।

कैग ने कहा है कि ईपीएफओ के पास मौजूद कुल राशि इसके सभी खाताधारकों के जमा से ज्यादा है। यह आंकड़ा हर साल बढ़ता ही जा रहा है। ऐसा अकाउंट को अपडेट न करने, दावा रहित अकाउंट की मौजूदगी आदि वजहों से हो सकती है। इससे पता चलता है कि ईपीएफओ उपभोक्ताओं को ढंग से सेवा नहीं दे पा रहा है। संगठन वित्त मंत्रालय के निवेश पैटर्न को भी नहीं मान रहा है। अपने कर्मचारियों के पीएफ की व्यवस्था खुद देख रहीं निजी कंपनियों के पीएफ ट्रस्ट के बारे में भी ईपीएफओ स्पष्ट नियम नहीं लागू कर पाया है। यह संस्था कंपनियों की जांच भी ढंग से नहीं करती।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !